कृषि विमर्ष पर सुधी पाठकों एवं सभी कृषि प्रेमिओं का हार्दिक स्वागत है। कृषि हमारी संस्कृति ही नहीं वल्कि भारतीय अर्थव्यस्था का ताना -बाना भी है। भारतीय जीवन में कृषि का विशेष स्थान हमारी सभ्यता के आधारभूत पुरातन साहित्य में भी दिखाई देता है। वाल्मीकि रामायण में जब भरत श्रीराम से मिलने चित्रकूट जाते है, तो भगवान् श्री राम कौशलपुर की कुशल क्षेम पूंछते हुये बिशेष आग्रह पूर्वक सिचाई, कृषि एवं गाय-बैलो के बिषय में प्रश्न करते है। महाभारत मे नारद मुनि युधिस्ठर से भी ऐसे ही प्रश्न करते हुए पूछते है कि तुमने सिचाई की समुचित व्यवस्थाएँ तो कर दी है न और तुम्हारे राज्य के किसान कही अन्न या बीज के अभाव में कष्ट तो नहीं पा रहे है। महाभारत के शान्ति पर्व में भीष्मपितामह युधिस्ठर को बताते है की कृषक ही राजा का बोझ अपने कंधों पर उठाते है और वही राष्ट्र की जनता का भरण पोषण करते है। ऐसे भारतवर्ष में, जहाँ श्रीराम और युधिस्ठर जैसे महान चक्रवर्ती राजा कृषि और किसानों के प्रति इतने चिन्तित रहे है उस भारत देश के किसानों की आर्थिक और सामाजिक स्थित दयनीय होना हम सब के लिए चिंता और समग्र चिंतन का विषय होना चाहिए। भारत के राजनेताओ, नीत निर्माताओं तथा कृषि वैज्ञानिकों को मिलकर कृषि और किसानो की दिशा और दशा सुधारने हेतु सकारात्मक कदम उठाना चाहिए। आज अधिकांश ग्रामीण युवा गाँव से शहर की तरफ रोजगार की तलाश में भटकते देखे जा सकते है। खेती किसानी से उनका मोह भंग होता जा रहा है। भारत के अनेक राज्यों के किसान भाई आत्मा हत्या करने विवश है। जिस देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से कृषि पर निर्भर हो वहाँ कृषि और किसानों की अनदेखी ठीक नही है। हम सब का यह पूनीत कर्त्तव्य है की हम अपने अन्नदाता किसानो के आर्थिक हालात सुधारने में अपना योगदान दें और ग्रामीण युवाओं को खेती किसानी तथा कृषि पर आधारित उद्यम अपनाने के लिए प्रेरित करें। कृषि और किसानो को समर्प्रित इस अनोखे ब्लॉग पर हम खेती किसानी के वैज्ञानिक तौर तरीके तथा आधुनिक तकनीक पर उपयुक्त समसायिक सामग्री प्रस्तुत करने का सतत प्रयास करते रहेंगे। प्रस्तुत विषय सामग्री आपको कैसी लगी उसकी उपादेयता एवं प्रस्तुतीकरण से संबधित अपने विचारों से हमें अवश्य अवगत कराने का कष्ट करे जिससे आपकी रूचि अनुसार सामग्री प्रस्तुत कर सकूँ।
भवदीय
आपका गजेन्द्र
krishiguru.blogspots.com
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